त्रिपदा वैदिक विघापीठ
त्रिपदा वैदिक विघापीठ की स्थापना आचार्य पंडित स्व. श्री रामचन्द्रजी शास्त्री की प्रेरणा से वर्तमान पीठाधीश आचार्य पं. बुद्धि प्रकाशजी शास्त्री द्वारा की गई है। इस विघालय के अंतर्गत विघार्थीयों को नि:शुल्क वेद अध्ययन, कर्मकाण्ड, ज्योतिष, फलित, वास्तु आदि अध्ययन कराया जाता है।
विघाथयों कि दैनिक दिनचर्या– त्रिपदा वैदिक विघापीठ में ब्रम्ण बटुको के आधुनिक संस्कृति व आध्यात्म से जुडकर शिक्षा प्रदान की जाती है। ब्रम्ण बटुको को स्कूली शिक्षा के साथ–साथ कर्मकाण्ड, ज्योतिष, वास्तु, कम्प्यूटर, अंग्रेजी का भी पूर्णत: ज्ञान दिया जाता है। विशेषत: त्रिपदा वैदिक विघापीठ में कर्मकाण्ड, ज्योतिष व फलित के साथ व्यवहारिक ज्ञान (प्रेक्टिकल) भी सिखाया जाता है। जिससे की हर कर्मकाण्डी ब्राम्ण अपने अनुभव को बडा सके।
बटुको को प्रात:काल 5 बजे उठने के पश्चात् संध्या व पूजन करवाई जाती है। तथा इसके बाद नित्य अनुष्ठान के अनुसार पूजन, जाप व सप्तशती, रुदपाठ आदि में सम्मिलित किया जाता हैै। बटुको से तत्पश्चात् वेद अध्ययन (आर्वतन) कराया जाता हैै। सांयकाल में बटुको को प्रवचन, भागवत् पुराण का वाचन करने की प्रक्रिया को सिखाया जाता हैै। विशेशत: ब्रम्ण को अनेक परिवेश, आधुनिक युग के अनुरुप रहन–सहन, संस्कृति के अनुरूप व्यक्ति बनाया जाता है।
ब्रम्ण बटुको के लिए नि:शुल्क आवासीय, शिक्षा, भोजन, वस्त्रादि की व्यवस्था प्रदान की जाती है। रक्षाबंधन के दिन यजोपवित्र संस्कार कराया जाता हैै। बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की अभिशेक पूजन के पश्चात् नि:शुल्क पुस्तक वितरण किया जाता हैै। सूर्य ग्रहण में प्रत्येक ब्रम्ण को सिद्ध करने व प्रखर बुद्धि प्राप्त हेतु विषेश मंत्र सिद्ध करने के लिए दिया जाता है। ब्री सेवन भी कराया जाता हैै।